पारस्परिक स्थानांतरण हेतु अनापति/सहमति के संबंध में।
पारस्परिक स्थानांतरण हेतु अनापति/सहमति के संबंध में।
बिहार स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेन्ट कॉरपोरेशन लि0 का पत्रांक-MP-591/23 दिनांक-17-08-2023
अधीक्षक मद्यनिषेध कार्यालय, पालीगंज में श्री अविनाश कुमार, इम्प्लाई आई०डी०-201901333599 एवं नगर परिषद् कार्यालय, भभुआ, कैमूर में श्री रोहित कुमार, इम्प्लाई डी०-201901350437, डाटा इन्ट्री ऑपरेटरों से प्राप्त अभ्यावेदन एवं अवर सचिव, मद्य निषेध, पद एवं निबंधन विभाग, बिहार, पटना का पत्रांक-4118 दिनांक-03.08.2023 एवं अपर सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग, बिहार, पटना का पत्रांक-3310 दिनांक-25.07.2023 द्वारा प्राप्त सहमति पत्र के आलोक में कार्यहित में पूर्व की सेवा शर्त के अनुरूप निम्नरूपेण पारस्परिक प्रतिनियुक्त किया जाता है:-
कर्मचारियों के नियमितीकरण पर बचने की कोशिश न करें सरकारेंः हाई कोर्ट
वर्षों तक नियमित कार्य करवाने पर भी अस्थायी दर्जे में रखना असंवैधानिक
लंबे समय से सेवाएं दे रहे अस्थायी, दैनिक वेतनभोगी व अनुबंधित कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर याचिकाओं पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब व हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लिया है। कहा कि सरकारें इस मामले में संवैधानिक अदालतों के फैसलों से बचने की नीति अपना रही हैं।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल पीठ ने इस रवैये को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि - यह न केवल कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन है, बल्कि समानता व गरिमा के सिद्धांतों की - भी अनदेखी है। दोनों राज्य बार बार ऐसी नीतियां - बनाते हैं, जिनका उद्देश्य अदालतों के आदेशों को लागू करने से बचना होता है। यह देखा जा रहा - है कि नियमितीकरण के दावों को न तो स्वीकार किया जाता है व न ही अस्वीकार, जिससे कर्मचारी वर्षों तक अनिश्चितता की स्थिति में रहते हैं। कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग - के बारे में दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते - हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि अस्थायी या ठेका
कर्मचारियों से वर्षों तक नियमित कार्य करवाय और फिर भी उन्हें अस्थायी दर्जे में रखना असंवैधानिक है और यह राज्य के एक आदश नियोक्ता होने के सिद्धांत के विपरीत है। हाई कोट ने स्पष्ट किया कि वित्तीय संकट, स्वीकृत पद की कमी, योग्यता की अनुपलब्धता या सर्वोच्च न्यायालय के पुराने निर्णयों का हवाला देकन नियमितीकरण से बचना न्यायोचित नहीं ठहराय जा सकता। राज्य और उसके अधीन संस्थान कर्मचारियों का शोषण नहीं कर सकते और उन्हें स्थायी लाभों से वंचित नहीं रख सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि अस्थायी करण कर्मचारियों के जीवन व सामाजिक सुरक्षा के अधिकार पर गहर प्रभाव डालता है। लंबे समय तक अस्थायी स्थिति में रखे जाने से उनकी पेशेवर स्थिरता, पारिवारिक जीवन और आत्मसम्मान प्रभावित होता है हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों को चेतावनी दी कि वे भविष्य में ऐसी नीतियां न बनाएं जिनसे कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हो या कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार जारी रहे। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि कर्मचारियों के दावे तय समय सीमा में निपटाए जाएं ताकि उन्हें न्याय मिल सके
ई0पी0एफ0ओ ने न्यूनतम कार्यकाल की सीमा घटाई, न्यासी बोर्ड ने कई अन्य बड़े फैसले लिए
बदलाव - 12 माह की सेवा अवधि में ही पीएफ राशि निकाल सकेंगे।
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की केंद्रीय न्यासी बोर्ड बैठक में कर्मचारियों को राहत देने वाले कई अहम फैसले लिए गए। अब पीएफ खाते से सभी तरह की निकासियों के लिए न्यूनतम सेवा अवधि घटाकर सिर्फ 12 महीने कर दी गई है।
पहले आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि पांच साल और शादी-विवाह के लिए निकासी की न्यूनतम सेवा अवधि सात साल थी। इसी तरह से ईपीएफओ खाते से धनराशि निकालने के लिए मौजूदा 13 प्रावधानों को खत्म कर तीन प्रावधानों को ही लागू करने का फैसला किया गया है। इससे निकासी प्रक्रिया और आसान हो जाएगी। इसके साथ ही अब ईपीएफओ सदस्यों को आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास संबंधी जरूरतें और विशेष परिस्थिति दिखाकर खाते से पैसा निकाल सकेंगे। हालांकि, अंतिम दावा निपटान अवधि को बढ़ा दिया गया है। इसे दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया गया है।
विशेष परिस्थिति के लिए कारण बताना जरूरी नहीं
विशेष परिस्थितियों के मामले में सदस्य को कारण बताने की आवश्यकता नहीं होगी। पहले कारण बताना जरूरी होता था, जिससे कई दावे खारिज हो जाते थे। अब कर्मचारी बिना कोई कारण बताए भी आवेदन कर सकता है।
निकासी की सीमा बढ़ाई गई
घर से जमा कर पाएंगे जीवन प्रमाण पत्र
ईपीएफओ ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ समझौता ज्ञापन को मजूरी दी। इसके बाद पेंशनभोगी अपना डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र घर बैठे जमा कर सकेंगे। प्रति सर्टिफिकेट 50 रुपये खर्च होंगे, जिसे पूरी तरह ईपीएफओ वहन करेगा। यह सुविधा ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के बुजुर्ग पेंशनरों के लिए राहत साबित होगी।
'विश्वास योजना' में भी राहत दी गई
अन्य अहम निर्णय
13 तरह के प्रावधानों को खत्म किया गया, जो पीएफ निकासी पर लागू होते थे।
मंत्रालय ने सोमवार को 'कर्मचारी नामांकन अभियान, 2025' (ईईसी 2025) की शुरुआत की। इसके तहत पीएफ खाते से वंचित निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का पंजीकरण किया जाएगा। यह योजना एक नवंबर, 2025 से 30 अप्रैल, 2026 तक लागू रहेगी। योजना के अनुसार, नियोक्ता उन सभी मौजूद्रा कर्मचारियों का नामांकन कर सकते हैं, जो एक जुलाई 2017 और 31 अक्टूबर, 2025 के बीच प्रतिष्ठान में शामिल हुए है लेकिन किसी वजह से पहले ईपीएफ योजना में नामांकित नहीं थे।
ईपीएफ रिटर्न भरने की ने समयसीमा बढ़ी
ईपीएफओ ने सितंबर माह के लिए ईपीएफ रिटर्न या ईसीआर दाखिल करने की समयसीमा एक सप्ताह बढ़ाकर 22 अक्टूबर, 2025 तक कर दी है। श्रम मंत्रालय के एक बयान में कहा कि नियोक्ताओं को हर महीने की 15 तारीख तक ईसीआर दाखिल करना अनिवार्य है।
बिहार स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेन्ट कॉरपोरेशन लि0 का पत्रांक-6408/19 दिनांक-24-10-2019
राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों, निगमों में आई0टी0 मैनपावर परिनियोजन एवं इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं एवं सेवाओं आपूर्ति व्यवस्था संचालन हेतु नोडल पदाधिकारी की भूमिका एवं नामांकन के संबंध में।
बिहार सरकार, सामान्य प्रशासन विभाग का पत्र सं0-17107 दिनांक-16-12-2019
बिहार स्टेट इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन लि0 (बेल्ट्रॉन) के माध्यम से चयनित तथा राज्य सरकार के कार्यालयों में प्रेषित आई0टी0 मैनपावर हेतु सीधे संविदा संपन्न करने तथा भुगतान किये जाने की व्यवस्था के संबंध में।
ईपीएफओ बोर्ड की बैठक में कई प्रस्ताव को मिल सकती है मंजूरी
नए साल में एटीएम से पीएफ निकासी संभव|
उम्मीद
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अगले वर्ष की शुरुआत से अपने सदस्यों को एटीएम के जरिए अंशदान निकासी की सुविधा देने जा रहा है।
इस सुविधा को शुरू करने के लिए मौजूदा सिस्टम को अपग्रेड कर नया आईटी सिस्टम 3.0 लाने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। सोमवार को होने वाली ईपीएफओ से केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में इसे मंजूरी मिल सकती है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय चाहता है कि जनवरी 2026 से ईपीएफओ में यह सुविधा अनिवार्य तौर पर लागू हो जाए। इसके चलते केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में 3.0 सिस्टम को लागू कराने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
चर्चा है कि बैठक में 11 वर्ष के बाद न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है लेकिन सूत्र बताते हैं कि पेंशन बढ़ोतरी का मुद्दा बैठक से जुड़े एजेंडे में शामिल नहीं है। क्योंकि सरकार सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर अलग से यूनिवर्सल पेंशन स्कीम लाने की दिशा में काम कर रही है, जिसमें सदस्य अपनी इच्छा के हिसाब से योगदान करके पेंशन को बढ़ा सकते हैं।
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पीएफ खातों में नई सुविधाएं मिलेंगी
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। - कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की बोर्ड बैठक सोमवार 13 अक्टूबर को होगी, जिसमें ईपीएफओ से जुड़ी कई सुविधाओं को मंजूरी दी जा सकती है।
खास तौर पर पीएफ खाते में बैंकिंग जैसी सुविधाएं देने का रास्ता साफ हो सकता है। साथ ही पीएफओ 3.0 सिस्टम को लागू करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इसे लागू करने की समय-सीमा भी निर्धारित होगी। काफी से चर्चा है कि बैठक में न्यूनतम पेंशन दिनों को बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है लेकिन सुत्र बताते हैं कि अभी तक पेंशन बढ़ोतरी को मुद्दा एजेंडे में शामिल नहीं है। कर्मचारी संगठन लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि मौजूदा न्यूनतम पेंशन एक हजार से बढ़ाकर साढ़े सात हजार रूपये मासिक किया जाए। यह भी चर्चा है कि बैठक में न्यूनतम पेंशन को ढाई हजार रूपये हो सकती है।
बैठक में ईपीएफओ की निगरानी में संचालित रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना से जुड़े कार्यों की समीक्षा की जाएगी। एक अगस्त से लागू यह योजना 31 जुलाई 2027 तक चलेगी। इसका उद्देश्य देश भर 3.5 करोड़ से अधिक नई औपचारिक नौकरियां पैदा करना है। योजना के जरिए पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों को 15 हजार रुपये तक का प्रोत्साहन और नियोक्ताओं को एक लाख तक के वेतन वाले नए कर्मचारियों के लिए तीन हजार रुपये प्रति माह का प्रोत्साहन दिया जाना है।
बिहार सरकार, परिवहन विभाग का पत्रांक-8398 दिनांक-08-10-2025
प्रोग्रामर/डाटा इन्ट्री ऑपरेटरों के हड़ताल अवधि में वेतन/ मानदेय भुगतान के संबंध में।
बिहार सरकार, सूचना प्रावैधिकी विभाग का ज्ञापांक-1800 दिनांक-08-09-2025
बेल्ट्राॅन के द्वारा सेवा प्रदाता के माध्यम से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों/कार्यालयों/संस्थानों आदि में अधियाचना के विरूद्ध आउटसोर्स के आधार पर मैनपावर यथा:- प्रोग्रामर, स्टेनाग्राफर, डाटा इन्ट्री आॅपरेटर एवं आई0 टी0 ब्याॅय/गर्ल के सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती है। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि अधियाचित कार्यालयों द्वारा कतिपय कारणों से ऐसे मैनपावर की सेवाएँ बेल्ट्राॅन को वापस कर दी जाती है, जिसके कारण उन्हें पुनः प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ऐसी स्थिति में नैसर्गिक न्याय को दृष्टिगत रखते हुए सेवा वापस किये गये मैनपावर के द्वारा अपील दायर किये जाने के संबंध में निम्नांकित निर्णय लिये जाते है:-